त्योहार विशेष: भाई-बहन के अटूट रिश्ते का पर्व ‘रक्षाबंधन’ 9 अगस्त को, जानिए शुभ मुहूर्त और पौराणिक कहानियों का महत्व


भाई-बहन के रिश्ते में अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक रक्षाबंधन इस वर्ष 9 अगस्त 2025, शनिवार को पूरे देश में उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। यह पर्व न केवल रक्षा और प्रेम का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति की उन पौराणिक कथाओं को भी जीवंत करता है, जिनमें राखी केवल एक धागा नहीं बल्कि संकल्प, स्नेह और सुरक्षा का बंधन है।

रक्षाबंधन वह पर्व है जो भाई-बहन के रिश्ते में न केवल प्यार और अपनापन बढ़ाता है, बल्कि एक-दूसरे के प्रति ज़िम्मेदारी और रक्षा का वचन भी दिलाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए उसकी कलाई पर राखी बांधती हैं। साथ ही, दान-दक्षिणा जैसे पुण्य कार्य भी किए जाते हैं।

इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और शोभन योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। यही नहीं, भद्रा काल का अशुभ समय सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगा, जिससे पूरे दिन राखी बांधना शुभ रहेगा।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त: 

पुरोहितों और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार:

  • सर्वश्रेष्ठ समय: सुबह 5:47 बजे से दोपहर 2:23 बजे तक
  1. अन्य शुभ मुहूर्त:
  • ब्रह्म मुहूर्त: 4:22 AM से 5:04 AM
  • अभिजीत मुहूर्त: 12:00 PM से 12:53 PM
  • गोधूलि वेला: 7:06 PM से 7:27 PM

पौराणिक कथाएं: 

माता लक्ष्मी और राजा बलि की कथा:

भगवत और विष्णु पुराण के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने राजा बलि को हराकर तीनों लोकों पर अधिकार किया, तो बलि ने उन्हें अपने महल में रहने का आग्रह किया। भगवान विष्णु ने स्वीकार किया, लेकिन लक्ष्मी जी इससे चिंतित हो उठीं। उन्होंने बलि को राखी बांधकर अपना भाई बना लिया और वरदान स्वरूप विष्णु को मुक्त करने की प्रार्थना की। बलि ने यह स्वीकार कर लक्ष्मी को बहन और विष्णु को मुक्त कर दिया।

द्रौपदी और श्रीकृष्ण:

महाभारत के अनुसार एक बार श्रीकृष्ण की उंगली में चोट लगी तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दी। इस प्रेम के प्रतीक रक्षा सूत्र के बदले श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को जीवनभर रक्षा का वचन दिया। यह कथा रक्षाबंधन के मूल भाव को दर्शाती है।

इंद्र और इंद्राणी: 

भविष्य पुराण के अनुसार जब इंद्र असुरों से हार रहे थे, तब उनकी पत्नी इंद्राणी ने मंत्रोच्चार के साथ रक्षा सूत्र बांधा। इंद्र ने युद्ध में विजय प्राप्त की। इस घटना को रक्षासूत्र परंपरा की शुरुआत माना जाता है।

सांस्कृतिक महत्व: राखी सिर्फ एक धागा नहीं: 

आज के युग में रक्षाबंधन एक पारिवारिक उत्सव भर नहीं है, यह एक ऐसा पर्व है जो हर भाई-बहन के बीच विश्वास, सुरक्षा और अपनापन बढ़ाता है। राखी बांधते समय बोले जाने वाला रक्षा मंत्र "ॐ येन बद्धो बली राजा..." इस पर्व की पवित्रता को और गहरा करता है।

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