चंद्र ग्रहण 07 सितंबर को रात 09:58 बजे से शुरू होगा और 08 सितंबर को रात 01:26 बजे तक जारी रहेगा। इस दौरान सूतक काल की शुरुआत 07 सितंबर को दोपहर 12:35 बजे होगी और इसका समापन 08 सितंबर को रात 01:26 बजे तक होगा।
धार्मिक परंपराओं के अनुसार, सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य जैसे पूजा-पाठ, मांगलिक कार्य आदि नहीं किए जाते हैं। इस दौरान विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है।
चंद्र ग्रहण कहां दिखाई देगा?
यह चंद्र ग्रहण भारत के अलावा एशिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका, फिजी और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में भी दिखाई देगा। भारतीय उपमहाद्वीप में इसका स्पष्ट प्रभाव देखने को मिलेगा।
चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं:
- स्नान और शुद्धता: चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद स्नान करें और घर एवं मंदिर की साफ-सफाई करें। फिर घर में गंगाजल का छिड़काव करें और उसे शुद्ध करें।
- दान और पूजा: ग्रहण के बाद पूजा-अर्चना करें और चंद्र देव के नामों का जप करें। इसके अलावा, गरीबों को दान देना भी इस समय के दौरान पुण्य कार्य माना जाता है।
- मंदिर की सुरक्षा: चंद्र ग्रहण के दौरान मंदिर के कपाट बंद कर दें और देवी-देवता की प्रतिमाओं को स्पर्श न करें।
- नुकीली वस्तुओं का उपयोग न करें: ग्रहण की अवधि के दौरान नुकीली चीजों का प्रयोग न करें।
चंद्र ग्रहण के समय क्या न करें?
- पूजा-पाठ से बचें।
- देवी-देवता की मूर्तियों या प्रतिमाओं को स्पर्श न करें।
- चंद्र ग्रहण के समय कोई भी मांगलिक कार्य न करें।
- शारीरिक संबंध बनाने से बचें
इस चंद्र ग्रहण के दौरान अगर इन उपायों का पालन किया जाए तो इसका अशुभ प्रभाव कम किया जा सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह समय विशेष ध्यान और शांति का होता है।
अधिक जानकारी और उपायों के लिए अपने स्थानीय पंडित या ज्योतिषाचार्य से संपर्क करें।

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