शिक्षक दिवस के अवसर पर बीते शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने देशभर के उत्कृष्ट शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया। दिल्ली में आयोजित एक विशेष समारोह में दिए गए इस प्रतिष्ठित सम्मान में उत्तराखंड के दो शिक्षकों — डॉ. मंजूबाला और मनीष ममगाईं को भी शामिल किया गया।
समारोह में राष्ट्रपति ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा, “हमारी प्राचीन परंपरा ‘आचार्य देवो भव’ शिक्षक को सर्वोच्च स्थान देती है। शिक्षा भी भोजन, वस्त्र और आवास की तरह ही व्यक्ति की गरिमा और सुरक्षा के लिए अनिवार्य है।” उन्होंने देश के विकास में शिक्षकों की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।
चंपावत की डॉ. मंजूबाला को मिला राष्ट्रीय सम्मान
उत्तराखंड के चंपावत जिले स्थित प्राथमिक विद्यालय च्यूरानी की प्रधानाध्यापिका डॉ. मंजूबाला को उनके शैक्षिक नवाचार और समर्पण के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया गया।
डॉ. मंजूबाला न केवल प्राथमिक स्तर पर बच्चों को पढ़ाती हैं, बल्कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के विद्यार्थियों को अंग्रेजी की निशुल्क कोचिंग भी देती हैं। वे त्रिभाषा पद्धति के अंतर्गत हिंदी, अंग्रेजी और कुमाऊंनी में पढ़ाकर बच्चों को प्रभावी और सरल तरीके से ज्ञान प्रदान करती हैं। इसके अतिरिक्त वे इवनिंग क्लासेस, स्काउट-गाइड गतिविधियों और विद्यालय में नवाचारों के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता को निरंतर बेहतर बना रही हैं।
मनीष ममगाईं को कौशल शिक्षा में योगदान के लिए सम्मान
दूसरे सम्मानित शिक्षक मनीष ममगाईं देहरादून स्थित राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (NSTI) में ट्रेनिंग ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं। उन्हें कौशल विकास और रोजगारपरक शिक्षा के क्षेत्र में उनके नवाचारी प्रयासों के लिए यह पुरस्कार मिला है। मनीष ममगाईं ने तकनीकी दक्षता, स्वरोजगार, और उद्यमिता को बढ़ावा देकर युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अहम योगदान दिया है। उनके प्रशिक्षण कार्यक्रमों से सैकड़ों युवाओं को रोजगार के अवसर मिले हैं और उन्होंने तकनीकी शिक्षा को जमीनी स्तर पर प्रभावशाली ढंग से लागू किया है।
उत्तराखंड के लिए गौरव का क्षण
इन दोनों शिक्षकों की उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों की पहचान है, बल्कि यह उत्तराखंड राज्य के शिक्षा क्षेत्र के लिए भी गौरवपूर्ण उपलब्धि है।

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