उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में वन्यजीवों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब तेंदुए और गुलदार के बाद भालू भी इंसानों के लिए खतरा बनता जा रहा है। राज्य में पहली बार किसी भालू को आदमखोर घोषित किया गया है। लगातार हमलों और ट्रैकिंग प्रयासों के विफल होने के बाद वन विभाग ने उसे मारने के आदेश जारी कर दिए हैं।
वन विभाग के अनुसार, पौड़ी जनपद के श्रीनगर क्षेत्र अंतर्गत थलीसैंण ब्लॉक के कई गांवों में भालू ने दहशत फैला रखी है। लगातार मवेशियों को मारने और ग्रामीणों पर हमला करने की घटनाओं के चलते गांवों में भय का माहौल है। विशेषकर स्कूली बच्चों और महिलाओं में डर का माहौल गहराता जा रहा है।
इसी मुद्दे पर कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने गुरुवार को यमुना कॉलोनी स्थित अपने शासकीय आवास में वन अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में गढ़वाल वन प्रभाग की पैठाणी रेंज के कुण्डिल, कुचोली, सौंठ, कठयूड़, कुठ और खण्डतल्ला जैसे गांवों में भालू के बढ़ते आतंक पर चर्चा की गई। मंत्री ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि ग्रामीणों को जल्द से जल्द भालू के आतंक से निजात दिलाई जाए।
प्रमुख वन संरक्षक रंजन मिश्रा ने निर्देश दिए हैं कि पहले चरण में भालू को पिंजड़ा लगाकर पकड़ने की कोशिश की जाए। यदि यह प्रयास विफल होता है तो उसे ट्रैंक्यूलाइज कर कब्जे में लिया जाए। सभी प्रयास असफल होने पर भालू को नष्ट करने (मारने) की अंतिम अनुमति भी दी गई है।

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