पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार से एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने नगर निगम की कार्यप्रणाली को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वायरल वीडियो में नगर निगम की टीम एक कॉलोनी से बेंच और कुर्सियां उखाड़कर ले जाती नजर आ रही है, जिन्हें एक बुजुर्ग व्यक्ति ने राहगीरों और स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए सार्वजनिक स्थान पर लगाया था।
पेंशन से खरीदीं बेंच-कुर्सियां, समाज सेवा बना ‘अतिक्रमण’
मिली जानकारी के अनुसार, कोटद्वार निवासी एक बुजुर्ग ने अपनी पेंशन से बचत करके कुछ बेंच और कुर्सियां खरीदी थीं, जिन्हें उन्होंने कॉलोनी के सार्वजनिक स्थान पर लगवाया था। उनका उद्देश्य था कि राहगीर, बुजुर्ग और बच्चे वहां बैठकर आराम कर सकें। लेकिन नगर निगम ने इन कुर्सियों और बेंच को अतिक्रमण मानते हुए कार्रवाई की और मौके पर पहुंचकर उन्हें हटाकर अपने साथ ले गई।
बुजुर्ग की बेबसी का वीडियो वायरल
बुजुर्ग ने इस पूरी घटना का वीडियो अपने मोबाइल फोन से रिकॉर्ड किया और सोशल मीडिया पर साझा कर दिया। वीडियो में वे कहते नजर आ रहे हैं,
“नगर निगम की गाड़ियां आई हैं, वे बेंच उखाड़कर ले जा रहे हैं। मैं आपत्ति नहीं कर रहा हूं, इनको जो चाहिए उठा ले जाएं। ये मैंने सार्वजनिक सुविधा के लिए लगाई थीं, लेकिन ये लोग बहुत गलत काम कर रहे हैं। मैं इनकी शिकायत नहीं करूंगा।”
बुजुर्ग की शांत और बेबस आवाज सोशल मीडिया यूजर्स को झकझोर गई है। वीडियो के वायरल होते ही नगर निगम की इस कार्रवाई को लेकर लोगों में भारी नाराजगी देखी जा रही है।
सोशल मीडिया पर उठे तीखे सवाल
सोशल मीडिया पर नगर निगम की आलोचना करते हुए यूजर्स ने सवाल उठाए हैं कि जब एक नागरिक समाजहित में कोई पहल करता है, तो उसे प्रोत्साहित करने के बजाय रोका क्यों जाता है? यूजर्स का कहना है कि नगर निगम अक्सर खुद तो बुनियादी सुविधाएं देने में विफल रहता है, लेकिन जब कोई आम नागरिक सामाजिक जिम्मेदारी निभाता है, तो उसकी कोशिशों को "अतिक्रमण" बताकर खत्म कर दिया जाता है।
लोगों का कहना है कि अगर यह स्थान निगम की संपत्ति था भी, तो बुजुर्ग से संवाद कर समाधान निकाला जा सकता था। बिना किसी नोटिस या चेतावनी के ऐसी कार्रवाई न केवल अमानवीय है, बल्कि नागरिक सहयोग की भावना को भी ठेस पहुंचाती है।
क्या हर सामाजिक पहल होगी अतिक्रमण?
इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है—क्या अब समाजहित में की गई कोई भी व्यक्तिगत पहल को अतिक्रमण माना जाएगा? लोगों का कहना है कि निगम को ऐसी पहलों का समर्थन करना चाहिए, न कि उन्हें कुचलना।
प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल
इस पूरी घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और नगर निगम की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। वहीं, सोशल मीडिया पर जनता निगम से जवाब मांग रही है।

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