उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की सहकारी निरीक्षक भर्ती परीक्षा से पहले एक बार फिर फर्जीवाड़े का गंभीर मामला सामने आया है। आयोग की ओर से कराई गई गोपनीय जांच में गाजियाबाद निवासी एक अभ्यर्थी द्वारा तीन अलग-अलग पहचान के जरिए परीक्षा में शामिल होने की कोशिश का खुलासा हुआ है। मामले में आरोपी के खिलाफ रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है और उसकी गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम गठित कर दी गई है।
तीन पहचान, फर्जी दस्तावेज और बदलकर भरे आवेदन
गोपनीय जांच में सामने आया कि गाजियाबाद जिले के भोजपुर मोदीनगर क्षेत्र के कनकपुर निवासी सुरेंद्र कुमार ने सहकारी निरीक्षक भर्ती परीक्षा के लिए तीन अलग-अलग आवेदन फॉर्म भरे थे। हर फॉर्म में उसने नया मोबाइल नंबर, बदले हुए विवरण और पिता के नाम की स्पेलिंग में मामूली बदलाव कर अलग-अलग पहचान बनाई थी।
जांच में यह भी सामने आया कि सुरेंद्र ने फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र, स्थायी निवास प्रमाणपत्र और यहां तक कि सेवायोजन विभाग की फर्जी इंप्लाई आईडी का भी इस्तेमाल किया था।
दस्तावेजों की जांच में उजागर हुआ फर्जीवाड़ा
आयोग द्वारा दस्तावेजों की गहन जांच में पाया गया कि आरोपी द्वारा लगाए गए स्थायी निवास प्रमाणपत्र में किसी अधिकृत अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे, जबकि उस पर उत्तराखंड सरकार की मोहर लगी हुई थी। इसी तरह, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) प्रमाणपत्र की भी पुष्टि में गंभीर अनियमितताएं सामने आईं।
इसके अलावा, सुरेंद्र कुमार ने तीनों आवेदन में अलग-अलग तरीके से ग्रेजुएशन पास होने का दावा किया था, जिससे उसकी शैक्षिक योग्यता भी संदिग्ध पाई गई। इन सभी तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट हुआ कि आरोपी ने परीक्षा में अनुचित लाभ लेने और चयन प्रक्रिया को प्रभावित करने की मंशा से सोच-समझकर फर्जीवाड़ा किया।
आयोग की सतर्कता से खुला मामला, आरोपी की तलाश में जुटी पुलिस
देहरादून के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि आयोग द्वारा डेटा की प्रारंभिक जांच के दौरान एक अभ्यर्थी की प्रविष्टियां संदिग्ध पाई गई थीं। इस पर आयोग ने तत्काल गोपनीय जांच का आदेश दिया। जांच में सुरेंद्र कुमार का नाम सामने आने पर एसओजी प्रभारी इंस्पेक्टर मुकेश त्यागी की ओर से रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया।
वर्तमान में आरोपी फरार है, और उसकी गिरफ्तारी के लिए एक विशेष पुलिस टीम का गठन किया गया है। पुलिस को आशंका है कि आरोपी से पूछताछ के बाद इस फर्जीवाड़े में शामिल अन्य व्यक्तियों या संभावित नेटवर्क का भी खुलासा हो सकता है।
UKSSSC परीक्षा प्रणाली पर फिर उठे सवाल
इस मामले ने एक बार फिर UKSSSC की परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता और सुरक्षा को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। पहले भी आयोग की परीक्षाओं में पेपर लीक और फर्जीवाड़े के मामले सामने आ चुके हैं, जिसके चलते आयोग की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठते रहे हैं।
आयोग ने भरोसा दिलाया है कि दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा और चयन प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

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