इस प्रक्रिया के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के अंतर्गत गठित उमंग स्वायत्त सहकारिता बिचली ढांढरी द्वारा पेटेंट, डिज़ाइन एवं ट्रेडमार्क महानियंत्रक के कार्यालय में आवेदन किया गया था। आवेदन प्रक्रिया में ग्रामोत्थान परियोजना (रीप), कृषि एवं उद्यान विभाग, तथा औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार का तकनीकी सहयोग प्राप्त हुआ। जिलाधिकारी पौड़ी द्वारा आवेदन हेतु ₹2.50 लाख का वित्तीय सहयोग दिया गया, जबकि तकनीकी मार्गदर्शन ह्यूमन वैलफेयर एसोसिएशन, वाराणसी के डॉ. रजनीकांत द्वारा प्रदान किया गया।
क्या है बेडू (हिमालयी अंजीर)?
बेडू एक प्राचीन हिमालयी फल है जिसे Himalayan Fig के नाम से भी जाना जाता है। यह फल पर्वतीय खेतों, बंजर भूमि और जंगलों में स्वाभाविक रूप से उगता है। इसके फलों में खनिज और विटामिन्स की प्रचुरता होती है। इसका स्वाद मीठा, रसदार और हल्का कसीला होता है।
बेडू प्रसंस्करण इकाई और महिला सशक्तिकरण
जिलाधिकारी के मार्गदर्शन में ग्रामोत्थान परियोजना (रीप) द्वारा उमंग स्वायत्त सहकारिता, पौड़ी में बेडू प्रसंस्करण इकाई स्थापित की गई है। यह फैडरेशन 31 गांवों के 62 स्वयं सहायता समूहों की 388 महिला सदस्यों से जुड़ी है। फैडरेशन किसानों से ₹60 प्रति किलो की दर से बेडू क्रय कर जैम, चटनी, स्क्वैश, मिठाई आदि उत्पाद तैयार करती है। इन उत्पादों का विपणन हिलांस ब्रांड के माध्यम से पौड़ी, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, ऋषिकेश, देहरादून, उत्तरकाशी और चमोली जैसे जिलों में किया जा रहा है।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया ने कहा कि, “बेडू का जी.आई. टैग मिलना केवल एक उत्पाद की पहचान नहीं, बल्कि पौड़ी की सांस्कृतिक और पारंपरिक धरोहर की मान्यता है। यह उपलब्धि स्थानीय किसानों और महिला समूहों की मेहनत की अंतरराष्ट्रीय पहचान बनेगी। प्रशासन का उद्देश्य है कि बेडू उत्पादों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और वैश्विक बाजारों तक पहुँचाने के लिए हरसंभव सहयोग दिया जाए।”
मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत ने कहा कि, “बेडू का भौगोलिक संकेतक टैग मिलना पौड़ी जनपद के लिए गौरव की बात है। इससे स्थानीय उत्पाद को राष्ट्रीय पहचान मिलेगी और इससे जुड़े किसान एवं महिला समूह आत्मनिर्भरता की दिशा में सशक्त बनेंगे।”
जिला उद्यान अधिकारी राजेश तिवारी ने कहा कि, “बेडू पौड़ी की जैव विविधता का एक अहम हिस्सा है। इसके औषधीय और पोषण मूल्य को देखते हुए इसे व्यावसायिक स्तर पर बढ़ावा देना आवश्यक है।”
महिला समूहों में खुशी की लहर
उमंग फैडरेशन की अध्यक्षा उमा देवी ने कहा कि, “जी.आई. टैग मिलने से बेडू उत्पादों के मूल्य में वृद्धि होगी और स्थानीय किसानों तथा महिला समूहों की आय में सीधा लाभ मिलेगा। यह उपलब्धि हमारे सामूहिक प्रयासों का परिणाम है।”

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