लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग की मांग अब दिल्ली तक पहुंची, 7 सितंबर को जंतर मंतर पर होगा धरना प्रदर्शन


वर्षों से लंबित लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग की मांग अब एक जन आंदोलन का रूप ले चुकी है। कोटद्वार से शुरू हुई यह मुहिम अब दिल्ली तक पहुंच गई है। पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण थापा के नेतृत्व में चल रही इस मुहिम को पहले ही दिन से लगातार जन समर्थन मिल रहा है।

31 अगस्त 2025 को कोटद्वार में हजारों की संख्या में लोगों ने चिल्लरखाल से मालवीय उद्यान तक जन चेतना रैली निकाली। इस रैली में आम जनता के साथ-साथ कई सामाजिक संगठनों ने भाग लिया और इस महत्वपूर्ण मोटर मार्ग के निर्माण की मांग करते हुए एक ज्ञापन उपजिलाधिकारी कोटद्वार के माध्यम से प्रधानमंत्री और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को सौंपा गया।

अब दिल्ली में धरना प्रदर्शन-

आंदोलन को और अधिक प्रभावशाली बनाने के उद्देश्य से अब 7 सितंबर 2025, रविवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा। इस प्रदर्शन में कोटद्वार सहित दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र के कई लोग भाग लेंगे और इस मार्ग की मांग को केंद्र और राज्य सरकार के समक्ष मजबूती से रखेंगे।

पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण थापा ने 2 अगस्त 2025 से पैदल पदयात्रा शुरू की थी और 12 अगस्त को दिल्ली पहुंचकर जंतर मंतर पर धरना शुरू किया। उनका स्पष्ट कहना है कि "जब तक सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात नहीं होगी, तब तक लौटना नहीं।"

इस अभियान को कानूनी मजबूती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के अधिवक्ता रोहित डंडरियाल भी साथ आए हैं। उन्होंने मार्ग निर्माण में आ रही रुकावटों पर स्पष्ट टिप्पणी की है और मामले को शासन-प्रशासन तक कानूनी रूप से ले जाने की बात कही है। उन्होंने कोटद्वार की जनता से अधिक से अधिक संख्या में समर्थन देने की भी अपील की है।

लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग क्यों है जरूरी?

  1. वर्तमान में कोटद्वार से देहरादून जाने के लिए नजीबाबाद (उत्तर प्रदेश) होकर लंबा रास्ता तय करना पड़ता है। यह मार्ग बनने से यह दूरी काफी कम हो जाएगी।
  2. यह मार्ग लगभग 1965 से अस्तित्व में है और बरसात के मौसम को छोड़कर यहां यात्री वाहनों का संचालन होता रहा है।
  3. नयागांव, मोल्हापुरी, रसूलपुर जैसे गांवों के लोगों को अब 11 से 20 किलोमीटर तक पैदल चलने से मुक्ति मिलेगी।
  4. यह मार्ग सुल्तान भांडू, कण्वाश्रम, महाबगढ़ और मालिनी नदी घाटी जैसे पर्यटन स्थलों तक पर्यटकों की आसान पहुंच सुनिश्चित करेगा।
  5. स्थानीय मंडियों और बाजारों से सीधा जुड़ाव होने से व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी।
  6. यह मार्ग साहसिक पर्यटन और वाइल्डलाइफ क्षेत्रों तक पहुंच को आसान बनाएगा जिससे पर्यटक आकर्षित होंगे।

एक ही लक्ष्य, एक ही नारा — "लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग बने हमारा"

यह नारा अब जन-जन की आवाज बन चुका है। आंदोलन अब सिर्फ एक सड़क की मांग नहीं, बल्कि स्थानीय जनता के अधिकार, सुविधा और विकास की मांग बन गया है।

धरना प्रदर्शन की तिथि 7 सितंबर 2025 (रविवार) स्थान: जंतर मंतर, दिल्ली समय: सुबह 10:00 बजे से

समस्त उत्तराखंडवासियों और दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों से अपील है कि इस आंदोलन में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर इस ऐतिहासिक मांग को सफल बनाएं।


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