कोटद्वार: विवादित मंदिर संपत्ति सील, पुस्तकालय और वाचनालय भी बंद – छात्रों और स्थानीयों में आक्रोश

 


कोटद्वार में देवी मंदिर की विवादित संपत्ति को लेकर शुक्रवार को प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की। तहसीलदार साक्षी उपाध्याय के नेतृत्व में पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीम ने परगना मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश पर मंदिर परिसर स्थित कई हिस्सों को सील कर दिया। इस दौरान मंदिर परिसर में संचालित शशिरानी वाचनालय और सरस्वती त्रिलोक पुस्तकालय को भी बंद कर दिया गया, जिससे वहां अध्ययन कर रहे छात्रों और पुस्तक प्रेमियों को बाहर निकालना पड़ा।

करीब दोपहर 1:15 बजे तहसीलदार साक्षी उपाध्याय के नेतृत्व में टीम देवी मंदिर परिसर पहुंची और कार्रवाई शुरू की। टीम ने मंदिर परिसर में स्थापित लोहे, स्टील और लकड़ी के कुल सात दान पात्र, वाचनालय, पुस्तकालय, और मंदिर समिति का कार्यालय सील कर दिया। हालांकि, परिसर की दुकानों को भी सील करने का प्रयास किया गया, लेकिन दुकानदारों के विरोध के चलते प्रशासन को पीछे हटना पड़ा

इस मौके पर नवगठित मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने प्रशासन की कार्रवाई को एकतरफा बताते हुए कहा कि वे सक्षम न्यायालय की शरण लेंगे।

छात्र और स्थानीय लोग नाराज़

पुस्तकालय और वाचनालय को सील किए जाने पर कई स्थानीय नागरिकों ने आपत्ति जताई। उनका कहना है कि इन सुविधाओं का मंदिर के धार्मिक या प्रबंधन कार्यों से कोई सीधा संबंध नहीं है। ये स्थान गरीब और सामान्य घरों के बच्चों के अध्ययन के लिए उपयोग होते हैं।

पुस्तकालय अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद सिलमाना ने बताया कि वह वर्ष 2002 से पुस्तकालय का संचालन कर रहे हैं और समाजसेवा की भावना से लोगों के घरों से पुस्तकें एकत्र कर बच्चों के लिए उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने आशंका जताई कि इस कदम से पढ़ाई कर रहे बच्चों का भविष्य प्रभावित होगा।

प्रशासन की ओर से बयान

तहसीलदार साक्षी उपाध्याय ने बताया कि यह कार्रवाई परगना मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के तहत की गई है। मौके पर कोतवाल रमेश तनवार, प्रभारी नायब तहसीलदार मनोहर सिंह नेगी, और बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। इससे पूर्व कोतवाली में एएसपी चंद्रमोहन सिंह ने कार्रवाई से पहले पुलिस बल को जरूरी दिशा-निर्देश दिए थे।

इस घटनाक्रम के बाद मंदिर परिसर और आसपास के इलाके में तनाव का माहौल है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से पुस्तकालय और वाचनालय को बहाल करने की मांग की है।

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