श्री यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद, भैया दूज के पावन पर्व पर संपन्न हुई परंपरागत विधियां

 


भैया दूज के पावन पर्व पर आज श्री यमुनोत्री धाम के कपाट विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। दोपहर 12 बजकर 30 मिनट के शुभ मुहूर्त पर कपाट बंद होने की परंपरागत प्रक्रिया संपन्न हुई।

इससे पूर्व, आज सुबह मां यमुना के भाई शनिदेव महाराज की डोली पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ खरसाली गांव से यमुनोत्री धाम के लिए रवाना हुई थी। धाम में तड़के से ही विशेष पूजा-अभिषेक और धार्मिक अनुष्ठान चलते रहे। कपाट बंद होने के बाद यमुना जी की भोग मूर्ति को डोली में विराजमान कर भाई शनिदेव समेश्वर महाराज की अगुवाई में खरसाली गांव के लिए प्रस्थान कराया गया।

कपाट बंद होने के इस शुभ अवसर पर देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालु और तीर्थ पुरोहित उपस्थित रहे और इस दिव्य दृश्य के साक्षी बने। अब अगले छह माह तक मां यमुना की नित्य पूजा एवं दर्शन खरसाली स्थित शीतकालीन मंदिर में संपन्न होंगे।

श्री यमुनोत्री धाम मंदिर समिति ने इस वर्ष की यात्रा को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए सभी तीर्थयात्रियों, प्रशासन, पुलिस बल तथा स्थानीय निवासियों का आभार व्यक्त किया है।

समिति के अनुसार, इस वर्ष कपाटोद्घाटन से कपाटबंदी तक 6,44,505 तीर्थयात्रियों ने श्री यमुनोत्री धाम के दर्शन किए। वहीं जनपद में स्थित दोनों धाम—श्री यमुनोत्री और गंगोत्री—में कुल मिलाकर 14 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जो 1,55,731 छोटे-बड़े वाहनों के माध्यम से पहुंचे।

श्रद्धालुओं के चढ़ावे और भेंट से इस बार यमुनोत्री मंदिर समिति को लगभग 50 लाख रुपये की आय हुई। हालांकि, गत वर्ष की तुलना में तीर्थयात्रियों की संख्या में थोड़ी कमी दर्ज की गई है।

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