उत्तराखण्ड सरकार ने राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। सरकार ने घोषणा की है कि दिसंबर 2025 से बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों पर “ग्रीन सेस” लागू किया जाएगा।इस कर से प्राप्त धनराशि का उपयोग राज्य में वायु प्रदूषण नियंत्रण, हरित अवसंरचना विकास और स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए किया जाएगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पहल को उत्तराखण्ड की “स्वच्छ वायु – स्वस्थ जीवन” की दिशा में एक नई पहचान बताया। उन्होंने कहा,
“राज्य के 25 वर्ष पूरे होने पर यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उत्तराखण्ड को स्वच्छ, हरित और प्रदूषणमुक्त बनाएं। ग्रीन सेस से प्राप्त आय का उपयोग वायु गुणवत्ता सुधारने, हरित ढांचा विकसित करने और यातायात व्यवस्था को स्मार्ट बनाने में किया जाएगा।”
वायु प्रदूषण नियंत्रण में मददगार होगा ग्रीन सेस
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UKPCB) के सदस्य सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि बोर्ड के अध्ययन के अनुसार देहरादून में वायु प्रदूषण का 55% हिस्सा सड़क की धूल से और करीब 7% वाहन उत्सर्जन से होता है। उनके अनुसार, ग्रीन सेस से सड़क धूल नियंत्रण, वाहन नीति में सुधार और पर्यावरण-अनुकूल वाहनों को प्रोत्साहन मिलेगा।
स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में बेहतर प्रदर्शन
भारत सरकार के “स्वच्छ वायु सर्वेक्षण–2024” में उत्तराखण्ड के शहरों ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया था — ऋषिकेश 14वें और देहरादून 19वें स्थान पर रहे। सरकार का कहना है कि ग्रीन सेस से प्राप्त राजस्व इस उपलब्धि को और सुदृढ़ करेगा तथा राज्य को स्वच्छ वायु के क्षेत्र में अग्रणी बनाएगा।
किन वाहनों से वसूला जाएगा सेस
यह सेस अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों से लिया जाएगा।हालांकि, इलेक्ट्रिक, हाइड्रोजन, सोलर और बैटरी संचालित वाहनों को इस कर से पूरी छूट दी जाएगी। सरकार के अनुसार, यह नीति पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर नियंत्रण के साथ ही स्वच्छ ईंधन आधारित वाहनों को बढ़ावा देगी।
राज्य को सालाना ₹100 करोड़ तक की आय की संभावना
ग्रीन सेस लागू होने से राज्य सरकार को लगभग ₹100 करोड़ वार्षिक राजस्व मिलने का अनुमान है। यह राशि वायु निगरानी नेटवर्क के विस्तार, सड़क की धूल नियंत्रण, हरित क्षेत्र बढ़ाने और स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम के विकास में खर्च की जाएगी।
पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में ठोस कदम
ग्रीन सेस व्यवस्था के लागू होने से उत्तराखण्ड में वायु गुणवत्ता में सुधार, AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) में गिरावट, और स्वच्छ परिवहन प्रणाली को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
यह पहल न केवल राज्य की पर्यावरण नीति को मजबूत करेगी बल्कि उत्तराखण्ड को स्वच्छ, हरित और सतत विकास के नए मॉडल के रूप में स्थापित करने में सहायक सिद्ध होगी।

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