गढ़वाल की लोकसंस्कृति और परंपराओं को संजोए रखने वाले पर्व ईगास-भैलो को कोटद्वार क्षेत्र में इस वर्ष भी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। भाबर के किशनपुर और लैंसडौन में आयोजित कार्यक्रमों में स्थानीय लोगों, व्यापारियों और सामाजिक संस्थाओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
किशनपुर में व्यापारियों ने मनाया ईगास पर्व
किशनपुर बाजार में आयोजित ईगास पर्व कार्यक्रम का शुभारंभ समाजसेवी सोहनलाल धूलिया ने दीप प्रज्वलित कर किया। स्थानीय व्यापारी और ग्रामीण ढोल-दमाऊं की थाप पर वीर माधो सिंह भंडारी के जीवन से जुड़े पारंपरिक लोकगीतों पर जमकर थिरके।
पर्व का मुख्य आकर्षण पारंपरिक ‘भैलो नृत्य’ रहा, जिसके साथ रंग-बिरंगी आतिशबाजी ने माहौल को उल्लासमय बना दिया।
इस मौके पर व्यापार संघ अध्यक्ष सुनील थपलियाल, बुद्धि बल्लभ धूलिया, अंजू केष्टवाल, अनिल गौड़, मनोज शर्मा, मोनू कुकरेती, विनोद कुमार सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद रहे।
लैंसडौन में भी मनाई गई ईगास बग्वाल
वहीं, लैंसडौन के ग्रीन फील्ड मैदान में ईगास बग्वाल पर्व धूमधाम से मनाया गया। महिलाओं ने पारंपरिक लोकगीतों और लोकनृत्यों की सुंदर प्रस्तुतियां दीं, जबकि युवाओं ने विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
कबड्डी प्रतियोगिता में चंदा नेगी की टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, जबकि राजेश्वरी नेगी की टीम द्वितीय रही। भैलो तैयार करने की पारंपरिक प्रतियोगिता में सूबेदार मोहल्ला प्रथम और कुमाऊंनी मोहल्ला द्वितीय स्थान पर रहा।
कार्यक्रम का शुभारंभ शिक्षाविद डॉ. रीता नेगी, पुष्पा वर्मा, और अभ्युदय संस्था की अध्यक्ष भावना वर्मा ने संयुक्त रूप से भैलो जलाकर किया। इसके बाद उपस्थित महिलाओं ने पारंपरिक भैलो खेलकर दीपावली का उत्सव मनाया और भूड़े, अरसे, पुए जैसे स्थानीय व्यंजनों का वितरण किया।
स्थानीय परंपरा का प्रतीक ‘ईगास’
दीपावली के 11 दिन बाद मनाया जाने वाला यह पर्व गढ़वाल अंचल में लोकएकता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक माना जाता है। ईगास पर्व पर लोग गाय-भैंसों की पूजा करते हैं, लोकगीत गाते हैं और सामूहिक रूप से भैलो खेलकर खुशियां साझा करते हैं।
इस अवसर पर दोनों ही स्थानों पर लोगों ने एक स्वर में कहा कि ऐसे पर्व न केवल हमारी सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करते हैं, बल्कि समाज में एकता का संदेश भी देते हैं।

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