नैनीताल जिले से एक बड़ा मामला सामने आया है, जहां वन निगम के लॉगिंग प्रभाग में संविदा पर तैनात एक कंप्यूटर ऑपरेटर ने लाखों रुपये का घोटाला कर विभाग को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। धानाचूली निवासी 26 वर्षीय महेंद्र सिंह बिष्ट पर कई गंभीर अनियमितताओं और धोखाधड़ी के आरोप की पुष्टि जांच रिपोर्ट में हुई है।
सूत्रों के मुताबिक, महेंद्र ने नौकरी शुरू होते ही विभाग के उच्च अधिकारियों से नजदीकी बढ़ाई और कार्यालय में मनमर्जी चलाने लगा। इसी दौरान उसने उपस्थिति में गड़बड़ी कर फर्जी तरीके से हाजिरी दर्ज कर कई दिनों तक बिना काम के वेतन लिया। 26 महीनों के दौरान उसने 76 बार सुबह जल्दी बायोमेट्रिक में उंगलियां लगाईं और पूरा दिन गायब रहा।
जांच में यह भी सामने आया कि महेंद्र कई बार बायोमेट्रिक में अनुपस्थित होने के बावजूद रजिस्टर में बैक डेट के हस्ताक्षर करता रहा। उसने छुट्टी और उपस्थिति दोनों को समानांतर दिखाकर रिकॉर्ड में हेरफेर की।
सबसे बड़ा घोटाला तब सामने आया जब महेंद्र ने सहायक लेखाकार और बैंक कर्मियों की मिलीभगत से आउटसोर्स कर्मचारियों के मानदेय का ₹72,775 रुपये का भुगतान वन निगम के चेक की फोटो कॉपी के आधार पर करवा दिया, जबकि बाद में विभाग द्वारा भेजे गए मूल चेक से वही भुगतान दूसरी बार हो गया। घोटाले का यह पैसा वापस कराने में विभाग को एक महीने तक मशक्कत करनी पड़ी।
महेंद्र पर आरटीआई से जुड़े लॉगिन का पासवर्ड बदलने, विभागीय डाक में फर्जी प्रविष्टियां करने, और कार्यालय से जारी उपकरण घर ले जाने जैसे आरोप भी सिद्ध हुए हैं। लगातार मिल रही शिकायतों और गंभीर अनियमितताओं के बाद की गई विस्तृत जांच में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के कई तथ्य उजागर हुए।
वन निगम ने महेंद्र सिंह बिष्ट को सेवा से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है और उसे संपूर्ण वन विकास निगम से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है।

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